Sunday 20 September 2015

TIME REVOLT कंही वक़्त बगावत न कर बैठे

कंही वक़्त बगावत न कर बैठे , ये हम से शिकायत न कर बैठे l
रोको इस अविनाशी क्षण मात्र को, ये सवाल जबाब न कर बठे ll
                कंही वक़्त बगावत न कर बैठे ..............................2
                                   --००--
यंहा निमेश एक में मित्र है , होते वक़्त के दामन में नित्य छिद्र है l
मा के आईने से मेने देखा है ,यंहा फिरते जगत में बनकर सब प्रेत है
यंहा प्रीति बेर विकने लगे ,और तट सरजू के दंगे है l
आस्था रह गई आकेली , और  मलिन गंगा के चर्चे है ll
जन्हा कुटिल योजनाओ का , मंदिर मज्जिद पर फहरा है l
दूल्हा कोइ नही पर , हर सर पर सजा एक सेहरा है ll
अब अंबर को जमी तक खीचा है , और चाँद पर होता रोज एक मेला है l
यंहा होता हर चौराये पर एक नया लंगर है l
फिर भी गरीब सोता भूखा घर के अन्दर है ll
बदल डालो अपनी प्राणली को, कंही प्रणय अंत न कर बैठे l
रोको इस अविनाशी क्षण मात्र को, कंही वक़्त बगावत न कर बैठे ll.....2
--००—
न बनाओ एसे आसरे , जन्हा ऊँचे हो हमारे आशियाने l
ये सने सने गिर जायेंगे हम मुसीबतों में गिर जायेंगे ll
रोक सको तोह रोक लो , इस कण कण क्षण की माया को
अन्यथा ये आगे अन्य राह में , आगे न निकल बैठे l
हमे छोड़ अपनी होड़ में ,ये आगे न निकल बैठे ll
समय तोह सीमाये लाँघ गया संयम शिविर न छोड़ बैठे l 
रोको इस अविनाशी क्षण मात्र को, कंही वक़्त बगावत न कर बैठे ll.......2
--००-
क्या होगा अगर वक़्त बगावत कर बैठे
कंही बाघ दहाड़ना भूल गया , और मन पंक्षी के मीत गया l
वृक्ष स्वार्थ न समझ बैठे , वायु अद्रोध न कर बैठे ll
कोकिल जब गाना भूल गये तोह मयूरा सावन भूल गया l
ये नियति नियत न हो जाये, क्षण ताबूत में न सो जाये ll
इससे पहले हम जाग जाये, सोते समय को साथ लाये l
जीवन को सुखमय,सुखद, और सफल बनाने को
अओ हम सब मिल कर आगे आये ll .........2


                                                                                              BY- ANURAG SHARMA (प्राक्रतिक )
SUB ENGINEER 
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