Sunday 20 September 2015

THE FIRE OF RESERVATION

आज शिक्षक वर्ग में एक असंतोष की लहर है , में नही जनता वह आचार्य चाणक्या के अनुयायी है या गुरु द्रौण के भगत हाँ मेने इतना तोह जाना है यह वाही शिक्षक है जो बच्चो को महात्मा गाँधी के किस्से पड़ाते है गाँधी जी के सत्याग्रह पर किसी छात्र के निबंध को जाँचने वाले शायद यही शिक्षक है ,
यह कितना निराशाजनक है जब इतिहास लिखा जायेगा तोह कल्पना भी नही की जाकेगी शिक्षको को अपने आधिकारो के लिये कलम छोडनी पड़ी ,
क्या सच में शस्त्र की आवश्यकता है स्वयं विचार करे क्या कलम एक शस्त्र नही क्या हासिल होगा हिंसा से?
हम आहिंसा और अनुशासन में रह कर भी अपनी बात रख सकते है ,यही तोह सिखाया है हमे हमारे महात्माओ ने आज देश आरक्षण की आग में झुलस रहा है जिसके दूरगामी परिणाम दुखद होंगे ,
और इतने में ये शिक्षको का तड़का 2 गुटों की राजनीती को आमंत्रित करेगा में चाहूँगा शिक्षक अपनी बात रखे और सरकार उन्हें सम्मान पूर्वक उन्हें उनके हक से नाबजे पर सरकार को भी शिक्षको के आधिकार विरोधी बातो हवा नही देने की आवश्यकता है और शिक्षक रहे अपनी बात पर परन्तु बच्चो का नुकसान न हो और शिक्षा का सम्मान व् गरिमा बने रहे यह ध्यान रखना होगा यह विचार भी करना ही होगा , यह तोह हट हुइ आप अपनी बात रखे पर एसे नही जिसमे छात्रों को हर्जाना भुगतना पड़े l हिंसा और हट पर आप आधिक समय तक अड़े रहे तोह कुछ राजनेतिक विरोधी आपको उपयोग करने लगेंगे l
में शिक्षको से आवाहन करूँगा वह देश की मुख्य समस्या में अपना सहयोग करे आज हमारा देश आरक्षण से झुच रहा है l
अब देश में पुनह सरकार विरोधी गतिविधियों जा जन्म हुआ है हम राजस्थान में हुए गुर्जर आन्दोलन से अच्छी तरह बाकिब है और राजस्थान में हुए अभूत पूर्ण आर्थिक क्षति उपरांत एक बार फिर गुजरात पटेलो के आरक्षण में जल रहा है यह आग में पानी जल्द ही डालना होगा यह आग महारास्ठ के मराठा से लेकर हरियाणा के जाटो तक पहुंचेंगे फिर हर राज्य आरक्षण की मांग करेगा जाति ,वर्ग और धर्म के आधार पर हमारी धर्मनिपेक्षता ओउंधे मुह गिर पड़ेगी यह आशांति का पहला विगुल होगा और एक दिन सब शांत हो जायेगा ,
हमे इस गृह युद्ध को सुरु होने से पहले ही रोकना होगा और गृह युद्ध का दर्द क्या होता है पूछो सीरिया से उन 80 लाख शरणार्थी से जो एक वक़्त के भोजन के मोहताज है न रहने को ठिकाना है न खाने को न पानी प्यास बुझाने को क्या आप भी चाहते हो कोइ मासूम बालक हमारे समुदिये तटो पर औंदे मुह मृत प्राप्त हो बंद करो से आरक्षण का विगुल इसका स्वर सर्नाश की ध्वनि का पर्यावाची है l
क्या सच में आवश्यकता है आरक्षण की आपको या आपकी आने वाली पीढ़ी को आपको न होगी पर आप क्या छोड़ कर जा रहे हो आने वाली पीढ़ी को क्या कहेगा भविष्य जब इतिहास लिखा जायेगा राजा भारत के वंशज आपस में ही लड़ मर गये ,
क्या यही इस सभ्यता का अंत होगा अगर आरक्षण न थमा तोह निच्चित ही इतिहास हमे कोसेगा l

में अपने लेख के माध्यम से शांति का आवाहन करता हूँ मेरे लेख को व्यक्तिगत न लेते हुए सामाजिक व्यवस्था में आये व्यवधान को दूर करने का प्रयास समझे और यंहा आवश्यता आक्रोश की नही एकता की है 
                                                                                            BY- ANURAG SHARMA (प्राक्रतिक )
SUB ENGINEER 
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