Friday 18 September 2015

मुझे मेरे देश की याद सताती है "STOP THE RACISM "

वर्ष 2010-11 दिसम्बर दृश ऑस्टेलिया के मेल्बौर्ण में भारतीय छात्रों पर हुए हमले का में विरोध करता हूँ उस हमलो में कई भारतीय छात्रों की जाने भी गई और कई घायल हुए एक घायल छात्र की भावनाओ कविता के रूप में पेश करता हूँ कैसे देश से वाहर एक भारतीय अपने भारत को याद करता
“जब कभी शाम ढल जाती है , सूरज को देने विदाई अम्बर पर चांदनी चाहती है l
पक्षी लौट आते है अपने अपने घरोंदे में और रात जब आति है ll
मुझे मेरे देश की याद सताती है ..................................................................2
जगाने को मुझे जब सूरज की किरण आति है ,पिने में चाय और न्यू पेपर की खीचातानी में पूरी सुबह निकल जाती है l
देख दोपहर की सुनी गलियों को मुझे मेरे देश की याद सताती है....................2
जब शाम आति है महफिले दोस्तों से सज जाती है l ..........2
जब कभी दोस्तों के बिच हिंदी बोली जाती है ll
मुझे मेरे देश याद सताती है ...................2
कुछ एसी यांदो का चित्रण कर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा जो भारत में आम है और विदेशो में ख़ास ....
जब कभी प्रेमी-प्रियतम को देखता हूँ ,
पत्नी को पति से झगडा करते देखता हूँ
देखता हूँ जब बसों की भीड़ और पान की गुमठी को ,
मेलो की रौनक और खेतों में लहराती फसलो को
दिखता है जब कभी बाज़ार में सिंघाड़ा और प्रफुलित हो उठता हूँ देख कर में आखाड़े को
आध्यापक की मार को बच्चो के भार को
मा के प्यार को बाप की डांट को
बहन के प्यार को दिलरुबा के इंकार को
जब कभी मिटटी से सौंधी-सौंधी खुशबू आति है सारी महकी फिजाये मुझे मेरे देश की और ले जाती है
देख इन मनमोहक दृशो को मुझे मेरे देश की याद सताती है .........................................................2
“मेरे देश में कुछ तोह वेवजय ही होता है जैसे .,,,,,”
वो सुनी गालिओ में कुत्तो का अपने इलाके की लडाई का रोना
नदी के बहते पानी में कंकड़ फैकना
कंचे , क्रिकेट और सितोडिया का होना हार कर जीतना और जीत कर उछलना
कुछ वजय एसी भी है जिन्हें याद कर आंखे भर
जब कभी घर की चौखट पर दीप जलता देखता हूँ ....,2
लोगो को रंग उड़ाते और रंगीन देखता हूँ .......,2
जब मिलते है लोग गले सब शिकबे भूला कर ..
में इस प्यार में अपने देश को देखता हूँ .....2
मेरा देश एक संस्कारो का देश है मेरे देश के संस्कार मेरे देश की संस्कृति में बसते है और जब कभी ये संस्कार नज़र आते है तब .......
जब कोइ युवती पूर्ण परिवेश में मुस्कुराती है
जब बेटा बाप के आगे झुक जाता है और अथिति कोइ घर आता है
जब चोट लगे किसी एक को तोह करवा एक हो जाता है
कसी भटके पथिक को कोइ अनजान डगर दिखा जाता है
देख इन संस्कार ओर सभ्यता को मुझे मेरा देश याद आता ...,2
और दुःख होता है जब
घायल होता है मेरा देश विदेश में , हमले होते है भारतीयों पर परदेश में
दोष गोरी काली चमड़ी का नही अंतर है परिवेष में
कितनी भी करलो तरक्की तुम परदेशियो
बहुत बड़ा अंतर है तुम्हारे और मेरे देश में ......,2




BY- ANURAG SHARMA (प्राक्रतिक )
SUB ENGINEER 
mail - sharmaanu411@gmail.com
mob-08223945111
web-http://sharmaanu411.blogspot.in/

No comments: