Monday 13 April 2020

How dare you "Corona"

UN climate change summit Sep 2019
एक 16 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता Greta Thunberg का वह संभोधन
"How dare You "
People are suffering. People are dying. Entire ecosystems are collapsing. We are in the beginning of a mass extinction, and all you can talk about is money and fairy tales of eternal economic growth. How dare you!
क्या How dare you का कोई कनेक्शन कोरोनों से
हो सकता है ?
Greta Thunberg के भवनात्मक प्रहार को समस्त देशों के प्रतिनिधियों ने कितना गंभीरता से लिया यह कह पाना कठिन है पर हम बड़े आसानी से यह सकते है ।
प्रकृति ने उसे गंभीरता से लिया और स्वयं रिबूट का फैसला लिया l
1- AQI में भारी गिरावट
2- ओजोन लेयर्स की रिपैयर
3- वातावरण में भारी गैसो की मात्रा में कमी
4- कैसे नदिया खुद व खुद स्वच्छ हो गई
यह 7 अरब लोगों की दुनिया जिस गति से चली जा रही थी ।
उसमे यह संभावना बहुत अधिक है कि हम प्रकृति के किसी क्रोध का कारण बनते । और इस क्रोध का कारण बने वो 1 करोड़ जानवर जिन्होंने ऑस्ट्रलिया में अपनी जान गवाई ।
कोरोना प्रकृति का वह निर्जीव तत्व है जिसने समूचे विश्व को अपने भय से घरों के अंदर बंद रहने को मजबूत कर दिया जिससे प्रकृति अपने आत्म रक्षण का कार्य सफलता से पूर्ण कर सके
इस 7 अरब की दुनिया में जन्हा 55 लाख लोग प्रति वर्ष मरते हो वंहा 1 लाख लोगों की मौत पर कोहराम मच जाना उस निर्जीव संक्रमण कोरोना का भय ही मात्र है ।
फैसला हमें करना है । आपको किन आंकड़ों में रहना पसंद है । आप प्रकृति के प्रहार से मरना चाहते है या संक्रमण से ।  शायद दोनों से नहीं । इसलिए बेहतर होगा प्रकृति को अपना काम करने दिया जाए यह अपने आप को पहले से बेहतर रहने के योग्य बना पाएगी ।
यह शताब्दीयो में घटित होने वाली घटनाएं है कभी हमें प्रकृति के अनुकूल होना पड़ा तो कभी प्रकृति हमारे अनुकूल हुई ।
समूचा विश्व आज लॉक डाउन है पर हमें इसकी आवश्यकताओ को समझना होगा इस लोकडाउन के खत्म होने के बाद भी समूचे विश्व को कुछ प्रतिबंध जारी रखना चाहिए ।
हमें संकल्प लेना चाहिए
1-बिना ठोस बजह के घरों से ना निकले ।
2- जल प्रदूषण पर नियंत्रण की आवश्यक है
3- शादी - समारोह या अन्य धार्मिक कार्यों में अनावश्यक जल एवं वायु प्रदूषण पर नियंत्रण
4-देश के सभी संस्थाओं में समय सारणी को इस प्रकार किया जाना चाहिए कि भीड़ ना दिखे
इस संकल्प की आवश्यकता हमें है हमने पाया हम हर परिस्थिति में जीवित रह सकते है अगर हां तो इन परिवर्तन को जीवन का अभूत अंग बनाया जाना चाहिए
By :- अनुराग शर्मा

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