दोपहर की खरीदारी के समय एक छोटा सा कांटा हमारे पैर के
निचे आया l
हमारे जूते पर पड़ते ही उसने हमे अपना एहसास कराया ll
हमने आस पास कंही खम्बा देखा खम्बा न मिला तोह तसरीफ के
लिए एक चबूतरा देखा l
एक पैर को दुसरे पैर पर थमाया पर कांटे को अपनी आँखों
से ओउचल पाया ll
फिर खड़े हुए और चल दिये थोडा ही चले थे की एक कुछ चुभने
का एहसास आया l
इस बार हमने अपने आप को नही किया परेशान और पास ही के एक
मोचि को बुलाया l
संबाद :- मोची और हम
हम :- देख भाई बड़े गौर से ये दाए पैर का जूता परेशान कर
रहा है जाने क्या है जो बार बार तंग कर रहा है .....,
मोचि :- में जल्द ही इसे ठीक कर दूंगा आप क्रपा कर इसे
उतार दे और यंहा पर बैठे थोडा धीरज रखें पास ही की दुकान से चाय की चुस्की का मज़ा
पाये ,,,
हम : वो सब तोह ठीक है हम बैठ भी लेंगे और चाय भी लेंगे
पर यह बताओ की आप हमसे क्या लेंगे ?
मोचि :- ये तोह कांटा बतायेगा की तुम हमे कितना देंगे
.,
हम :- क्या कंहा कांटे के हिसाब से पैसे लोगे अगर कांच
हुआ तोह क्या लोगे ?
मोचि :- कांटा हो या कांच बात तोह बराबर है साहब आप तोह
बस चाय का मज़ा लीजिये और पास पड़े पेपर पर अपना दिमाग खर्च कीजिये , में अभी इसे
ठीक किये देता हूँ और एक दस की नोट आपसे लिए लेता हूँ ,
हम :- चलो भाई करो तुम हम पर कृपा जिससे हम भी हो जाये
यंहा से विदा ,(पेपर पड़ते हुए ) क्या बात है मोचि आज सराफा बाज़ार बड़ा गुलज़ार है
चारो तरफ पोस्टर लगे है लोगो का बड़ा सैलाब है लगता है किसी का इंतज़ार है ?
मोचि :- सही फ़रमाया साहब आज मंत्री जी का दौरा है वो
अभी आते ही होंगे
(इतने में सैलाव से जयकारे और नारों की आवाज आने लगती
है हमारा नेता कैसा हो .....नेता जी अमर रहे जैसे )
मोचि :- आप को बुरा न लगे तोह एक फरमाइश फरमाउ साहब l
आप यंहा आराम करे में मंत्री जी का भाषण सुन आऊ साहब ll
हम :- शौक से चले जाओ मेरा जूता ठीक कर जाओ
मोचि :- ये ठीक हो गया साहब लाईये पैसे अब में चलता हूँ
उसके जाते ही मेने अपना जूता पहना दो कदम ही क्या चला
था उसने फिर उसने जहर उगला l इस बार हो गया में आग बबूला लेकर एक पैर का जूता हाथ
में लेकर मेने मोचि को खोजा ..,
मोचि जा पहुंचा मंत्री जी के सामने पहली लाइन में मेने
मोची को अबाज लगाई उसके बार बार न सुनने पर मेने कट्टु शब्दों में बोला आज बेटा
तेरी शाहमत आई ,
मेने जैसे ही जूता मोचि की तरफ फैका l मोची हो गया निचे
मंत्री जी का खोपडा फूटा ll
देखते ही देखते पुलिश ने मुझे घेर लिया और सभी मिडिया
के कैमेरो ने मुझे अपनी नजरो में खीच लिया
मंत्री जी ने बडप्पन देखाया और मुझे पुलिश से छुडाया
में छोड अपने जूते को अपने घर की तरफ दौड़ा
घर जाकर देखा तमाम न्यूज चेनल वाले लोग और गली मोहल्ले
के लोग मेरा इंतजार कर रहे थे
न्यूज वालों ने मुझपर सवालों की बौछार सी कर दी
आपने जूता क्यों मारा ?क्या आप मंत्री जी के कार्य से
संतुष्ट नही ? आप किस पार्टी से है ?क्या आप आहाक्षण और भ्रटाचार का विरोध कर रहे
थे ? मेने केवल इतना कहा मोचि ने मेरा कांटा नही निकला इसलिए मेने उसको जूता मारा
बस इतना कह कर मेंने जैसे तैसे अपने आप को इन प्रश्नों से अलग किया और घर में गया तोह
टीवी पर अपने आप को पाया सारे दिन यह बारदात सुर्खिया बनी रही और जब न्यूज़ में यह
खबर को पाया की “ शिवचरण मोचिया (मंत्री जी का नाम )ने समाज में बड रहे भ्रष्टाचार
,आरक्षण,भेदभाव के लिये कोइ बात नही की इन्हे काँटों का नाम दिया गया इस लिए
उन्हें जूता पड़ा और तुरंत मंत्री जी ने चुनावी पैतरा अपनाया और अब जीत के लिए
काँटों की बात होने लगी देखते ही देखते मंत्री जी की प्रसिदी सातवे आसमान पर थी l
रातों –रात ये साधारण सा कवी भी प्रसिद हो गया मुझे
मिलने लगे सुयोग्य कवी सम्मलेन के मोके तोह मंत्री जी भी शामिल हो गये जोर्ज बुश
की श्रेणी में तुलना होने लगी उनकी गृह मंत्री से लेकर ऑस्टेलिया के प्रधान मंत्री
से मंत्री जी जन्हा खड़े थे MLA के पद पर थोड़ी सी
प्रसिदी से आसार बनने लगे मंत्रीमंडल के किसी पद के l
इस जूता कांड में एक बात मेरी समज से परी थी में प्रसिद
हुआ जूता मरने से मंत्री जी प्रसिद हुए जूता खाने से पर इन सब बो मोचि कंहा गया जो
हम दोनों के बिच था यह प्रश्न प्रश्न ही बनकर राह गया पर जब मंत्री जी आसीन हुए
कुर्सी पर तब उत्तर प्राप्त हुआ
“की यह सब तोह मंत्री जी की ही चुनावी प्रचार प्रसार का
एक हिस्सा था में और मेरा जूता तोह एक माध्यम था मरने वाला तोह कोइ और ही था ,
अनुराग शर्मा
मो 8223945111
Email –sharmaanu411@gmail.com
http://sharmaanu411.blogspot.in/
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