बिरोजगारी एक समस्या है l और शिक्षा इसे दूर करने
का एक मात्र साधन हो तोह ये निश्चित है हम उच्य शिक्षा प्राप्त कर इस समस्या का
अंत कर पाएंगे l
में इस कल्पना मात्र से प्रफुल्लित हो उठता हूँ l
पर जब ज्ञात होता है आज हम उस युग में है जन्हा शिक्षा एक व्यवसाय है तब डर लगता
है कंही इस समस्या के अन्त की प्राप्ति में हम प्रारंभ को ही न भूल जाए l
मुझे स्पष्ट याद नही की शिक्षा एक व्यवसाय कब बना
पर एक वाक्य याद है जब गुरु द्वार्णआचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा में उसका
अंगूठा ही मांग लिया था l इस तथ्य से हम अनुमान लगा सकते है यह पारंपरिक सभ्यता
लगभग 5500 वर्ष पूर्व की है l
यह सत्य है इस समस्या के संकेंत हमे आदिकाल से ही
मिलना प्रारंभ हो गये थे की एक दिन शिक्षा लाभ का साधन होगा l
यह चलन भी काफी वर्षो का है जिसने शिक्षा प्राप्त
की उसे उसका मोल चुकाना होगा चाहे वो गुरु की इक्षा से हो या आपकी स्वेक्षा l
श्री कृष्ण से लेकर चन्द्रगुप्त मोर्य तक सभी ने
इस परंपरा का पालन किया है l
पर अब गुरु और गुरुत्व दोनों की परिभाषा बदल चुकी
है आज समय वो है जब कई गुरु तोह शिक्षा ही इस कारण ग्रहण करते है की भविषय में
इसका मोल प्राप्त कर सके l
इस वर्तमान समय में उज्य शिक्षा प्राप्ति पद्दति
इतनी महंगी है की यह आज भी एक साधारण माध्यम वर्गी परिवार की पहुँच से दूर है l
पर मुझे समझ नही आता वह शास्त्र और गुरु ज्ञान जो
कहा करते थे ज्ञान का मोल नही यह अनमोल है वही आज इसका मोलभाव तय करते नज़र आते है
l
हमे निशुल्क शिक्षा पर जोर देने की अवश्यकता है
क्योकि गरीबी और गरीब के पास शिक्षा प्राप्ति के लिए पर्याप्त धन का न होना हमारे
देश की समस्या है पर गरीबी के साथ हमारी समस्या बेरोजगारी यह दूर होती नज़र नही आ
रही कभी ये आरक्षण का शिकार होती है तोह कभी भेदभाव का l
आज शिक्षा के साथ ही जाती का वर्गीकरण हो चूका है
इसे सामान्य / पिछड़ा / अनुसूचित जाती /अनुसूचित जनजाति में विभाजित है यह वर्गीकरण
भी बिरोजगरी का कारण हो सकता है l
में कभी नही समझ पाया की एक छत की निचे सभी
प्रकार की जाती , वर्ग एवं धर्मो के छात्र एक साथ शिक्षा ग्रहण करते है पर शिक्षा
उपरांत रोजगार अवसर पर जाती , वर्ग , धर्म में अंतर क्यों रखा जाता है l
ये आरक्षण , भेदभाव क्यों ....?
ये असामान्यता क्यों .............?
शिक्षा को एकरूपता की आवश्कता है यह सत्य है शासन
द्वारा शिक्षा पर काफी पैसा खर्च किया जाता है कई नए कानून भी बनाये जा रहे है शिक्षा
एक आधिकार के रूप में सामने आया है l
पर कंही न कंही हमारे आधिकारो का हनन हो रहा है l
शिक्षा का मोलभाव हो रहा है l उच्य शिक्षा (इंजीनियरिंग ,डॉक्टर ,आई .ए. एस
,आई. पि . एस आदि ) व्यवसाहिक रूप से संचालित है और इस सञ्चालन एवं दर के कारण यह
सामान्य वर्ग से बहुत दूर है l
हमे स्वयं ही विचार करना होगा शिक्षा के नविन
प्रयास को समाज में लाना होगा हमे शिक्षा से जीत पाये तो संभव है बेरोजगारी को
ख़त्म कर पायेगे कितना सुन्दर होगा सर्व शिक्षित रोजगार युक्त भारत ,,,,,,,,,,,,,
सभी विचार कर अपनी कल्पनाये और मत मुझे भेज सकते है

अनुराग शर्मा
मो.8223945111
Email
– sharmaanu411@gmail.com
http://sharmaanu411.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment