Saturday 28 March 2020

हत्यारा हत्यार "कोरोंना"

दुनिया में कुल 232 देश हैं, इनमें वो क्षेत्र भी शामिल हैं जो खुद को अलग देश घोषित कर चुके हैं। जबकि यूएन के मुताबिक 197 देश हैं और 193 देशों ने UN की सदस्यता ली हुई है। आज की स्थिति ये है कि करीब 191 देशों में कोरोना फैल चुका है
अभी तक दुनिया में 25 हज़ार लोगों की जान कोरोना से संक्रमित होने के कारण जा चुकी है, 300 करोड़ लोग लॉकडाउन के चलते अपने घरों में कैद हैं। केवल भारत में 135 करोड़ लोग घरों में रहने को मजबूर हैं।
इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि कोरोना कहां से आया, किसने बनाया? क्या वाकई ये साज़िश है? एसे ही कई और सवाल हैं, जिनका जवाब सब जानना चाहते हैं।
कोरोना को लेकर 3 थ्योरियां चल रही हैं...
1. चीन में लोगों के चमगादड़, पेन्गोलिन एवं सांप को खाने से कोरोना फैला। क्योंकि ये बहुत नया वायरस है और इसका जीनोम भी मानव संरचना से मेल नहीं खाता, इसीलिए कोई भी एंटीबायोटिक अभी तक कोरोना पर असरदार साबित नहीं हो सका है।
2. इसके पीछे चीनी साज़िश का हाथ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना को चाइनीज़ वायरस करार दिया है। विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो इसे वुहान वायरस बताते हैं, जबकि अमरीकी सीनेटर टॉम कॉटन ने आशंका जताते हुए कहा था, ''संभव है कि कोरोना वायरस चीन का बायो वॉरफेयर या जैविक हथियार हो और इसे वुहान लैब में विकसित किया जा रहा हो।''
दावा किया जा रहा है कि चीन ने अमेरिका और अन्य दूसरे यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने के लिए वुहान की लैबोरेटरी आफ वायरोलाजी में इसे बनाया मगर ये किन्ही कारणों से लीक हो गया। सबसे बड़ा कारण किसी जैविक हथियार के फटने से कोरोना के रिसाव को बताया जा रहा है।
वहीं, इन दावों को खारिज करते हुए चीन ने कहा है कि अगर हमने बनाया होता तो हम खुद को ही इसका शिकार क्यो बनाते? इसके पीछे चीन विरोधी तर्क देते हैं, कि जिस वक्त चीन कोरोना को विकसित कर रहा था, उसी वक्त उसे इसके ख़तरों के बारे में अंदेशा था। इसीलिए चीन की तानाशाह कहे जाने वाली कम्युनिस्ट सरकार ने संभावित ख़तरों से निपटने के लिए अस्पताल, डाक्टरों नर्सों की टीमें, दवाइयां, मास्क और अन्य इंतज़ाम मुकम्मल कर लिए थे।
यही कारण हो कि चीन में जब ये फैला तो उसे बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और अब उसने कोरोना पर काबू पा लिया है, वो अपने बाज़ार दोबारा से खोलने जा रहा है।
3. तीसरी थ्योरी ये है कि अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों ने तेज़ी से बढती जा रही चीन की अर्थव्यस्था को बर्बाद करने के लिए पहले तो उसके खिलाफ तरह-तरह से ट्रेड सैंक्शन्स यानि व्यापारिक प्रतिबन्ध लगाए, लेकिन जब चीन को रोका नहीं जा सका तो कोरोना को बनाया और फिर चीन में पिछले साल अक्टूबर में तब प्लान्ट कराया जब उसके वुहान शहर में वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स 2019 का आयोजन किया गया था।
ये वही वुहान शहर है जहाँ पर कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमण हुआ और सबसे ज्यादा लोग भी यहीं पर मारे गए। वुहान में जहां पर मिलिट्री गेम्स का आयोजन हुआ था, उसके बहुत पास उसका सबसे बड़ा सी-फूड मार्केट है। कहा जा रहा है कि कोरोना यहीं से दुनिया भर में फैला।
मिलिट्री गेम्स में कई देशों के साथ-साथ अमेरिका ने भी अपने सैनिकों का लंबा चौड़ा दल भेजा था और चीन का दावा है कि इन्ही में से कुछ अमेरिकी सैनिकों ने कोरोना को वुहान मे प्लान्ट कर दिया। इतना ही नहीं, चीन ने ये भी कहा है कि जिस वक्त वुहान में मिलिट्री गेम्स चल रहे थे उसी वक्त अमेरिका के कुछ सैनिकों को तेज़ बुखार और खांसी ज़ुकाम जैसे लक्षण दिखने पर अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा था।
चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड का एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें रॉबर्ट रेडफील्ड स्वीकार कर रहे हैं कि एक अनजाने फ्लू से कुछ अमेरिकी मरे थे, लेकिन उनकी मौत के बाद पता चला कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित थे। रेडफील्ड ने अमेरिकी संसद की समिति के सामने भी ये माना था।
हालांकि चीन की थ्योरी में ज्यादा दम इस बात से भी नज़र आ रहा है कि सबसे पहले जब चीन कोरोना का संकट झेल रहा था और उसके डॉक्टर-वैज्ञानिक इसे चमगादड़ से फैली महामारी बता रहे थे, तब अमेरिका ने सबसे पहले कहा था कि मुमकिन है कि ये वायरस चीन की वुहान लैब से फैला हो। ऐसे में सवाल पैदा हुआ कि आखिर ग्राउंड ज़ीरों पर होते हुए भी चीन जो जवाब नहीं ढूंढ पाया, वो हज़ारों किमी दूर बैठे अमेरिका ने कैसे खोज लिया?
कोरोना के दुनिया भर में फैलने को लेकर एक विवादास्पद "टिट फार टैट" थ्योरी ये भी है कि चीन को जब पक्का अंदाज़ा हो गया कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों ने उसके व्यापार व कारोबार को नष्ट करने की नीयत से उसे कोरोना का शिकार बनाया है, तब उसने भी कोरोना पीड़ित लोगों को जानबूझ कर अलग-अलग देशों में भेजा ताकि कोरोना को वहां पर भी ट्रांसमिट किया जा सके और इसका नतीजा ये हुआ कि पूरी दुनिया अब इस खतरनाक वायरस की ज़द में आ चुकी है।
इन सभी थ्योरियों और बहस मुबाहिसों के बीच बड़ा सवाल ये है कि एक मिनट के लिए मान लिया जाए कि कोरोना को या तो चीन ने या फिर अमेरिका ने बनाया, तो इस खतरनाक वायरस को बनाने वाले ने क्या इसको फैलाने के पहले इसका तोड़ नहीं बनाया होगा? अमूमन देखा जाता है कि कंप्यूटर वायरस बनाने वाले इंजीनियर ऐसा प्रोग्राम बनाने के बाद इसके डिबगिंग की प्रोग्रामिंग ज़रूर करते हैं, तो कोरोना के मामले में दोनों देशों ने अपने हज़ारों नागरिको को गंवा क्यों दिया?
इन तमाम आरोप प्रत्यारोपों के बीच दुनिया के तमाम देश अपनी-अपनी सहूलियतों और अन्तरराष्ट्रीय रिश्तों के आधार पर मोर्चेबन्दी में भी जुट गए हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण देश बन कर उभरा रूस। रूस ने चीन का पक्ष लेते हुए अमेरिका को आड़े हाथों ले लिया। रूस के एक प्रमुख टीवी चैनल ने कोरोना को बड़ी साज़िश बताते हुए दावा किया कि कोरोना वायरस दरअसल यूरोप और अमेरिका की बड़ी दवा कंपनियों, CIA और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की मिलीजुली साजिश है।
साथ ही कहा कि ये वायरस चीन की नहीं बल्कि जॉर्जिया में अमेरिका की एक सीक्रेट लैब में तैयार किया गया, जहां जैविक हथियार बनाने का काम हो रहा है और फिर वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स के दौरान अमेरिकी सेना ने इसे फैलाया। ईरान ने भी अमेरिका पर ज़ुबानी हमले तेज़ कर दिए। अन्य देश भी अपने अपने हिसाब से ऐसा ही कर रहे हैं। इन सबके बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि इस वायरस को किसी ख़ास समूह या क्षेत्र से जोड़ना ग़लत है।
Special thanks
By:- अतुल अग्रवाल,